राज्य सरकार ने प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्र में रह रहे घरेलू उपभोक्ताओं से पानी का बिल नहीं लेने का निर्णय लिया है। यानी सरकार ने पहले लिए अपने निर्णय को पलट दिया है, जिसमें ग्रामीण क्षेत्र में रह रहे सभी उपभोक्ताओं से पानी का 100 रुपए मासिक बिल लेने की बात कही गई थी। यह निर्णय 1 अक्तूबर, 2024 से प्रभावी हो गया था, जिसमें से कुछ उपभोक्ताओं ने अपने बिल जमा भी करवा दिए थे। इस तरह पहले बिल की अदायगी कर चुके कुछ उपभोक्ताओं के बिलों को आने वाले समय में वापस करने या एडजस्ट किया जाएगा। हालांकि ग्रामीण क्षेत्रों में व्यावसायिक गतिविधियों, होटल एवं होम स्टे इत्यादि उपभोक्ताओं से पानी का बिल लिया जाएगा।
महाकुंभ से लौटने के बाद सीएम ने लिया निर्णय
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने महाकुंभ से लौटने के बाद अधिकारियों के साथ ओकओवर में हुई बैठक में ग्रामीण क्षेत्र के घरेलू उपभोक्ताओं से पानी का बिल नहीं लेने का निर्णय लिया है। मुख्यमंत्री के प्रधान मीडिया सलाहकार नरेश चौहान ने पत्रकारों से अनौपचारिक बातचीत में सरकार की तरफ से लिए गए निर्णय की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ने लोगों की मांग पर यह निर्णय लिया है। मुख्यमंत्री ने इसके लिए ग्रामीण क्षेत्रों से फीडबैक भी मांगा था, जिसके बाद अधिकारियों को सरकार के इस निर्णय पर अमल करने के निर्देश जारी कर दिए गए हैं। उल्लेखनीय है कि प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में करीब 17 लाख पेयजल उपभोक्ता हैं, जिसमें जल-जीवन मिशन के तहत भी करीब साढ़े 9 लाख कनैक्शन लगे हैं।
700 से ज्यादा नई पंचायतें बनाने के प्रस्ताव आए
ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री अनिरुद्ध सिंह ने कहा कि इस समय प्रदेश में 700 से ज्यादा नई पंचायतें बनाने के प्रस्ताव सामने आए हैं। ऐसे में अब आने वाले समय में सरकार निर्णय लेगी कि कितनी नई पंचायतों को बनाना है, क्योंकि 1 पंचायत को बनाने पर करीब 7 से 8 करोड़ रुपए खर्च आता है। अनिरुद्ध सिंह ने कहा कि नई पंचायतों के गठन को लेकर मंत्रिमंडल एवं जनप्रतिनिधियों से चर्चा के बाद अंतिम निर्णय लिया जाएगा। यानी अभी यह मामला सरकार के विचाराधीन है।
अप्रैल में शुरू होगा बीपीएल सर्वे
अनिरुद्ध सिंह ने कहा कि आगामी 1 अप्रैल से बीपीएल का सर्वे शुरू होगा। पंचायतों की मनमानी को रोकने के लिए इसके लिए बीडीओ और एसडीएम के स्तर पर निर्णय लिया जाएगा। उन्होंने कहा कि सरकार का प्रयास है कि पात्र लोग ही बीपीएल के दायरे में आएं तथा कोई भी निर्णय राजनीतिक आधार पर नहीं लिया जाए