चुनाव आयोग को सुप्रीम कोर्ट का निर्देश, EVM का डेटा मिटाएं नहीं

चुनाव आयोग और ईवीएम से जुड़ी सत्यापन प्रक्रिया को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को एक महत्वपूर्ण आदेश जारी किया है। कोर्ट ने स्पष्ट निर्देश दिया है कि चुनाव आयोग से जुड़ी कोई भी जानकारी या डेटा, विशेषकर ईवीएम (इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन) से संबंधित डेटा को न तो मिटाया जाए और न ही पुनः लोड किया जाए। यह आदेश एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) द्वारा दायर की गई याचिका के संबंध में आया है। कोर्ट ने इस मामले में चुनाव आयोग से 15 दिनों में जवाब दाखिल करने को कहा है।

क्या है पूरा मामला?

एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करते हुए मांग की थी कि चुनाव आयोग को ईवीएम की मेमोरी और माइक्रोकंट्रोलर की जांच और सत्यापन के लिए एक ठोस नीति बनानी चाहिए। याचिका में चुनाव आयोग से यह भी मांग की गई थी कि ईवीएम के सॉफ़्टवेयर और हार्डवेयर के संबंध में कोई भी छेड़छाड़ न हो और यदि ऐसा होता है तो उसका पुख्ता प्रमाण मौजूद होना चाहिए। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से यह भी कहा कि वे यह सुनिश्चित करें कि ईवीएम से जुड़े सभी डेटा को मिटाया या फिर से लोड नहीं किया जाए।

चुनाव आयोग पर सुप्रीम कोर्ट के निर्देश

सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में सुनवाई करते हुए कहा, “हम नहीं चाहते कि ईवीएम से कोई छेड़छाड़ हो, हम चाहते हैं कि इंजीनियर यह बता सके कि क्या कोई छेड़छाड़ हुई है या नहीं।” कोर्ट ने यह भी कहा कि अगर किसी उम्मीदवार को ईवीएम के परिणामों पर संदेह है तो इस पर एक इंजीनियर ही स्पष्टता दे सकता है। कोर्ट ने चुनाव आयोग से यह भी कहा कि वे 15 दिनों के भीतर इस मुद्दे पर अपना जवाब दाखिल करें और ईवीएम के डेटा को यथासम्भाव सुरक्षित रखें।

चुनाव आयोग ने इस पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि वे अदालत के निर्देशों का पालन करेंगे और अपनी प्रक्रिया को इस प्रकार तैयार करेंगे कि कोई छेड़छाड़ न हो। अदालत ने इस मुद्दे पर कोई भी गलतफहमी दूर करने की कोशिश की और कहा कि वह बस यह सुनिश्चित करना चाहती है कि ईवीएम पर किसी भी प्रकार की छेड़छाड़ न हो और अगर कोई संदेह है, तो उसका समाधान तकनीकी तरीकों से किया जाए।

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